Monika garg

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लेखिनी 15 पार्ट सीरीज प्रतियोगिता # सती बहू(भाग:-10)

गतांक से आगे:- 

श्याम को शहर एम्बूलैंस में ले गये थे ।उसकी सांसें चल रही थी पर खून बहुत बह गया था। विशम्बर के चमचे ने सिर पर पत्थर दे मारा था जिसके कारण सिर से खून का फव्वारा बह निकला था वो तो चंदा के चाचा ससुर समय पर पहुंच कर अपनी जान पहचान वाले आदमी से शहर के बाडर तक गाड़ी का इंतजाम किया फिर वहां से गाड़ी वाले ने एम्बुलेंस का।

समय पर अस्पताल पहुंचने पर भी अभी श्याम का जीवन खतरे से बाहर नहीं था । डाक्टर ने चौबीस घंटे का समय दिया था ।

इधर चंदा भूखी प्यासी मंदिर में दिया जलाकर भगवान के आगे ये प्रण किए बैठी थी कि जब तक श्याम की सलामती की खबर  शहर से नहीं आती तब तक अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगी।

चौबीस घंटे बहुत भारी थे श्याम की जिंदगी पर लेकिन चंदा की एकाग्रचित्त पूजा के आगे यमदूत भी हार गये और चौबीस घंटे बाद श्याम ने आंखें खोली और खोलते ही बोला,"कोई मेरी चंदा को बचा लो ।"

चंदा के चाचा ससुर वहीं पास ही खड़े थे वो तुरंत उसके पास आये और उसके सिर पर हाथ रखकर बोले ,"तुम्हारी चंदा को कुछ नहीं होगा बेटा ,बस तुम आराम करो।"


दो चार दिन बाद जब श्याम बिस्तर से उठने लायक हुआ तो चंदा के चाचा ससुर ने श्याम से सारी बात पूछी और उसके मन को टटोला कि उसके मन में  चंदा के लिए क्या हैं।सब बातों से आश्वस्त होकर उन्होंने श्याम को वचन दिया ,"बेटा जब तक मेरा बस चला तो मैं तुम दोनों को जुदा नहीं होने दूंगा। बस अब से जैसा मैं कहूं वैसा करना ।"

जब श्याम को होश आया था तब गांव का हरिया भी ठाकुर के साथ अस्पताल गया था ।उसने आकर चंदा और उसकी चाची सास को खबर कर दी कि अब श्याम ठीक है ,तब जाकर चचिया सास  पानी की बूंद चंदा के गले में  डाल पाई।

इधर श्याम को तसल्ली देकर और उसको ये कहकर कि अभी मामला नाजुक हैं तुम थोड़े दिन गांव से दूर रहो और उसका शहर में रहने का इंतजाम करके चंदा के चाचा ससुर गांव लौट आये।

इधर विशम्बर ने जब से श्याम को अधमरा किया था  तब से वह चंदा को मारने की फिराक में था ।वह अपने चाचा के यहां जा नहीं सकता था क्योंकि जनानापन होने के कारण शुरू से ही वो अपने चाचा से डरता था। क्योंकि खानदान में दो ही लड़के थे एक देश के नाम शहीद हो गया दूसरा भगवान ने ऐसा दिया जिसे ना तो मर्द की श्रेणी में रख सकते थे ना औरत की । विशम्बर के पिता जब कभी ज्यादा शराब पी लेते थे तो सारी रात अपनी पत्नी को कोसते थे ,"क्या लाल जना है ? इससे अच्छा तो मैं बेऔलाद रह जाता तो ठीक था।"तब दौड़कर विशम्बर की मां पति के मुंह पर हाथ रख देती,"अब बस भी करो, बहूरिया ने सुन लिया तो कहीं के नहीं रहेंगे जो इज्जत अभी ढकी हुई है वो सब उतर जायेगी।"

विशम्बर हमेशा अपने गुंडों को अपने चाचा के घर के आस पास ही रखता कि जब भी चंदा मिले उसको गर्दन से पकड़ कर मेरे पास ले आना ।

ये बात चंदा के चाचा ससुर को गांव में आते ही हरिया ने बता दी थी ।वे इस बात के लिए सजग हो गये थे उन्होंने चंदा को घर से बाहर निकलने के लिए मना कर दिया था ।अब पानी भी कहार आकर भर जाते थे।


वैसे चंदा चाचा ससुर से पर्दा करती थी लेकिन जब उसे पता चला कि उन्होंने श्याम का शहर में कितना ख्याल रखा और उसे वचन देकर आये है कि वो श्याम और चंदा के रिश्ते में किसी तरह का खलल नहीं  आने देंगे,तो एक दिन चंदा चाचा ससुर के कोठरी में जाकर उनके पांव ही पड़ गयी और सुबकते हुए बोली,"पता नहीं क्यों चाचा जी मुझे आप में मेरे पिता की छवि दिखाई देती है ।बस आप इसी तरह हम दोनों पर अपना आशीर्वाद रखना।"

चंदा के चाचा ससुर बोले,"बिटिया, बहू भी तो धर्म की बेटी होती है , तू किसी बात की चिंता मत कर मैंने तुम्हारे और श्याम का भविष्य सोच लिया है ।बस तुम थोड़े दिन घर से बाहर मत निकलना विशम्बर के गुंडे ताक लगायें बैठे हैं ।"

"जी चाचा जी ।जैसा आप कहेंगे वैसा ही करूंगी।" यह कहकर चंदा बाहर चली गई।

वह बाहर तार पर कपड़े सुखा रही थी और साथ ही श्याम के साथ अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना में खोई हुई थी तभी उसे ऐसे लगा जैसे सारा आसमान हिल रहा है और वह धड़ाम से चक्कर खा कर गिर गई।

तभी बाहर से हरिया दौड़ा दौड़ा आया और आते जोर जोर से चिल्लाने लगा, "ठाकुर साहब कहां हो आप ? कहां गये बाहर आइए बहुत बड़ी बात है गई है गांव में।"

इधर से चंदा के गिरने पर चचिया सास और हरिया की आवाज सुनकर ठाकुर साहब(चंदा के चाचा ससुर) बाहर की ओर भागे।


चंदा अचानक से चक्कर खा कर क्यों गिरी और हरिया ऐसी क्या बात बताने आया है ।ये जानने के लिए अगले भाग का इंतजार करें….

(क्रमशः)



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4 Comments

HARSHADA GOSAVI

15-Aug-2023 12:54 PM

Nice

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Alka jain

27-Jun-2023 07:46 PM

Nice

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वानी

18-Jun-2023 11:25 AM

Nice

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